मातृभूमि के आँचल में वो प्रतापी लाल अमर हैं। इतिहासों के आलेखों में जो गुंजित शौर्य स्वर हैं।। अनगिनत असंख्य विक्रमी जो क़ुर्बान हो गए। हिन्द की आन के लिए वे हिंदवी शान हो गए।। भारत का मस्तिष्क वे हर पल ऊँचा करते गए। दुश्मन की छाती पर तरुण तिरंगा फहराते गए।। वो त्याग गए रिश्ते नाते सरहद की मुस्तेदी पर। सुहागी बिंदी छोड़ गए जो हाथों की मेंहदी पर।। स्वाभिमानी समर संग्रामी सौभाग्य उन्हें मिलता हैं। नयनों में जिनके लहराता तिरंगा दिखाई देता हैं।। रणभेरी बजाते जो हिमनद की चोटी पर चलता हैं। हर धड़कती धड़कन में जय हिन्द सुनाई देता हैं।। यह धरा धरती उन नौजवान वीरों की कहानी हैं। जो उज्ज्वल हिंदवी की विख्यात शौर्य जवानी हैं।। नापाक मंशा की मन्नत ने जब भी आँख उठाई हैं। भारत के बेटों ने उनको जन्नत ही दिखलाई हैं।। समझौतों के पालन में हमने संकल्प निभाए हैं। सिंधु झेलम सतलज में भी शांति दीप जलाए हैं।। धैर्य के धर्मराज पर जब जब दुष्टों ने वार किया। हिंदुस्तानी शेरों ने घर में घुस कर संहार किया।। सरहदी सीमा पर शत्रु ने जब भी आँख उठाई हैं। ओजस्वी अभिनंदन ने उनको औकात दिखाई हैं।। हिन्द का जय घोष करती हिमालय की अंगड़ाई हैं। पीओके पर परचम फहराने की अब बारी आई हैं।। ✍️अर्जुन प्रतापसिंह इन्दा भारत यशोगान #independenceday2020