प्यार का मौसम सर्द रात है गर्मी लिये रजाई का इसी माघ में रंगे राग में अधर रगड़ दे सलाई का नई जिस्म है नई प्यास है हया की बंधन टूट गई सारी शम्मा आज बुझा दो मिटे भरम परछाई का सिलवट पे सिलवट की चाहत हुस्न भरा पैमाना है आ जाओ पेहलु में जानम दाव लगा अंगड़ाई का....