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हर आदमी खुद की नज़र मे सही माना जाता है खुद के गल्त

हर आदमी खुद की नज़र मे सही माना जाता है
खुद के गल्तियों को भुल, दूसरो पर आरोप लगाने मे जूट जाता है
ना समझा है अपनो को
ना समझाने मे वक़्त ज्यां करना चाहता है
हर रिश्ते मे एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपण मे लग जाता है
लेकर मन मे मेल बैठा वो जाता है
खुद की सोच को हावी कर खुद के ऊपर ही,
गलत वो दूसरो को ठहराता है
कभी कभी आश्चर्य होता मुझे
है भी कोई अपना या सब पराया है
कैसा ये युग आया , कैसी ये माया है
हद तो उसने कर दी, जो
कुछ बेखबर है तो कुछ बन कर नादान बैठे है
अपने तो चाशनी के गोल जैसा चिपके है और रिश्तों को बड़ी सावधानी से सम्भाले है
इसी जदोजहद मे दूसरों को दाव पर लगा जाते हैं
उनका एक शब्द क्या असर कर जाता 
कहा इतना सा समझ वो पाता
इससे उन्हें तो आंच नही आती
बस सामने वाला सूली चढ़ जाता
इनका व्यवहार मेरे समझ से बाहर हो जाता
क्या है इनकी अस्लियत
कैसी होती है ऐसे लोगो की शक्सियत
सच मे रिश्ता निभाना है या केवल कुछ को बचाना है 
या सिर्फ़ अच्छाई के आड़ मे धोखा देना
और दूसरो को ठेस पहुचाना है
या हमें ज़िंदगी की सीख देकर ही चैन पाना है

आज अनुभव से सीख गई मैं, ऐसे मंच को जीत गई मै
जहा सब दिखावा है , सब छलावा है
सिर्फ बहरूपियो का जमाना है 
लगभग सब अजमा कर देख लिया मैनें 
यहां भावनाओं की कोई औकात नहीं रह गई 
भेड़ो के झुड़ मे चालना ही असलीपन की निशानी बन गई
हा ! काण्ड करना ही हर एक की कहानी बन गई
सीख लिया मैंने भी, सबब भी लेती गई
सादगी अब यहाँ की रीत ना रह गई
हमारे भी मन मे अब कोई प्रीत ना रह गई
कोई प्रीत ना रह गई..! #Donttrustany1
हर आदमी खुद की नज़र मे सही माना जाता है
खुद के गल्तियों को भुल, दूसरो पर आरोप लगाने मे जूट जाता है
ना समझा है अपनो को
ना समझाने मे वक़्त ज्यां करना चाहता है
हर रिश्ते मे एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपण मे लग जाता है
लेकर मन मे मेल बैठा वो जाता है
खुद की सोच को हावी कर खुद के ऊपर ही,
गलत वो दूसरो को ठहराता है
कभी कभी आश्चर्य होता मुझे
है भी कोई अपना या सब पराया है
कैसा ये युग आया , कैसी ये माया है
हद तो उसने कर दी, जो
कुछ बेखबर है तो कुछ बन कर नादान बैठे है
अपने तो चाशनी के गोल जैसा चिपके है और रिश्तों को बड़ी सावधानी से सम्भाले है
इसी जदोजहद मे दूसरों को दाव पर लगा जाते हैं
उनका एक शब्द क्या असर कर जाता 
कहा इतना सा समझ वो पाता
इससे उन्हें तो आंच नही आती
बस सामने वाला सूली चढ़ जाता
इनका व्यवहार मेरे समझ से बाहर हो जाता
क्या है इनकी अस्लियत
कैसी होती है ऐसे लोगो की शक्सियत
सच मे रिश्ता निभाना है या केवल कुछ को बचाना है 
या सिर्फ़ अच्छाई के आड़ मे धोखा देना
और दूसरो को ठेस पहुचाना है
या हमें ज़िंदगी की सीख देकर ही चैन पाना है

आज अनुभव से सीख गई मैं, ऐसे मंच को जीत गई मै
जहा सब दिखावा है , सब छलावा है
सिर्फ बहरूपियो का जमाना है 
लगभग सब अजमा कर देख लिया मैनें 
यहां भावनाओं की कोई औकात नहीं रह गई 
भेड़ो के झुड़ मे चालना ही असलीपन की निशानी बन गई
हा ! काण्ड करना ही हर एक की कहानी बन गई
सीख लिया मैंने भी, सबब भी लेती गई
सादगी अब यहाँ की रीत ना रह गई
हमारे भी मन मे अब कोई प्रीत ना रह गई
कोई प्रीत ना रह गई..! #Donttrustany1
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