Maa वाक्यों में ही नहीं वरन अक्षर अक्षर में निहित रहे मां वीणापाणी ,देववाणी तुझसे ही सबका हित रहे मैं नीर भरूं आंखों में मां ,अधरों में मुस्कान रखूं दे दो एक बार साथ जीवन में फिर ऊंची उड़ान भरूं ©Shilpa Yadav #poetryshilpayadav#shilpayadav#kavita#kavya