वो ईस तरह करिब आई दौड के जैसे उन्हे बोहत कुछ केहना हो नजाने कौन सी बेचेनी थी उसके दिल में हलका सा मुस्कुराई ओर। बिना बोले ही चली गई ©Rutesh aehsas ae mohhababbt