बदलते वक्त में, कुछ किस्से अधुरे रह गए, कुछ यादें बन गई, कुछ अनकहे से रह गए! कुछ बचपन की सौगातें हैं, कुछ दो पल की मुलाकातें हैं, कुछ पाठ है जीवन भर के, कुछ पल यू हीं बीत गए लड़ के! कुछ पहलूओं में सुख दुख के किस्से हैं, कुछ में तनहाई के भी हिस्से हैं, कुछ में अब भी खुद में उलझे हैं, कुछ रिश्ते न आज भी सुलझे हैं! कुछ तलाश रहे हैं, कुछ सम्भाल रहे हैं, ज़िन्दगी की सच्चाई यही है, इसे यूहीं हंसकर मान रहे हैं... ©Garima nandwal #badalta_waqt