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वीर सुशोभित जब कर में होती तलवार दुधारी , चाँद

वीर  सुशोभित  जब कर में 
होती तलवार दुधारी ,
चाँद - सितारे शोभा नभ के ,
घर की  शोभा नारी ,
ममता बिन  नरता की  कोई 
कद्र नहीं है  जग में ,
प्यार  बिना  जीवन  सूना है ,
फूल बिना  फुलवारी !

अशांत (पटना ) poem
वीर  सुशोभित  जब कर में 
होती तलवार दुधारी ,
चाँद - सितारे शोभा नभ के ,
घर की  शोभा नारी ,
ममता बिन  नरता की  कोई 
कद्र नहीं है  जग में ,
प्यार  बिना  जीवन  सूना है ,
फूल बिना  फुलवारी !

अशांत (पटना ) poem