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कुछ मौसम हो चली कभी ठंड तो कभी गर्माहट से रहती भर

कुछ मौसम हो चली 
कभी ठंड तो कभी गर्माहट से रहती भरी 
पल-पल में ही बदलती 
कभी सुर्ख शाम सी 
कभी सुबह सी ताजी 
रात की अंधियारी सी आलस जगा जाती 
कभी बिन कहे बरस पड़ती 
भीगा जाती रस में मुहब्बत की 
या कड़की बिजली सी 
दिल की धड़कने बढ़ा जाती 
हर रोज है बदलती 
होती हमारे सोच से परी 
कभी सुहावनी बसंत सी 
कभी नीरस पतझड़ सी 
बातें ये मौसम की नही 
बदलती जिंदगी की मेरी सोच है यही।  Life from my points of view. 
OPEN FOR COLLAB✨ #ATज़िन्दगीआजकल
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

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Collab with your soulful words.✨
कुछ मौसम हो चली 
कभी ठंड तो कभी गर्माहट से रहती भरी 
पल-पल में ही बदलती 
कभी सुर्ख शाम सी 
कभी सुबह सी ताजी 
रात की अंधियारी सी आलस जगा जाती 
कभी बिन कहे बरस पड़ती 
भीगा जाती रस में मुहब्बत की 
या कड़की बिजली सी 
दिल की धड़कने बढ़ा जाती 
हर रोज है बदलती 
होती हमारे सोच से परी 
कभी सुहावनी बसंत सी 
कभी नीरस पतझड़ सी 
बातें ये मौसम की नही 
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