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उसमे क्या दखल, हमारा था । खुद ही हमसे अपना रिश्ता

उसमे क्या दखल, हमारा था ।
खुद ही हमसे अपना  रिश्ता , तोड़ गए तुम।
इस बेरहम दुनियाँ मे तन्हाँ, छोड़ गए तुम।
किस गुनाह की हमको, दी है ये सजा ।
गर प्यार ही गुनाह है तो, मंजूर है कज़ा।।
ज़िन्दगी का ग़म से रिश्ता, जोड़ गए तुम।
अरमान  भरे दिल को मेरे, तोड़ गए तुम।। वो फ़ैसला तुम्हारा था...
#फ़ैसला #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
उसमे क्या दखल, हमारा था ।
खुद ही हमसे अपना  रिश्ता , तोड़ गए तुम।
इस बेरहम दुनियाँ मे तन्हाँ, छोड़ गए तुम।
किस गुनाह की हमको, दी है ये सजा ।
गर प्यार ही गुनाह है तो, मंजूर है कज़ा।।
ज़िन्दगी का ग़म से रिश्ता, जोड़ गए तुम।
अरमान  भरे दिल को मेरे, तोड़ गए तुम।। वो फ़ैसला तुम्हारा था...
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