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कलम को मानता हूं शारदा मैं और शास्त्रों को शक्ति म

कलम को मानता हूं शारदा मैं
और शास्त्रों को शक्ति मानता हूं

ज्ञान आधार होता है सृजन का
मैं इस सत्य को भी स्वीकारता हूं

मगर, जब शुंभ निशुंभ से धरा यह डोलती है
कलम न लिख सके कुछ ना स्याही बोलती है

रक्तबीजों के रक्त से जब आती आपदा है
तब स्वयं रक्षार्थ शक्ति ही आती सर्वदा है

आवश्यक उंगलियां हैं तो आवश्यक ही भुजा है
पूज्य यदि है भवानी तो पूज्य ही शारदा है।

©INDRAJEET
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indrajeet3376

INDRAJEET

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Give me some motivation #Poetry

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