बुढापा (ज़िये जाने के लिये) सींच रहा हूँ दिन - दिन जिकर इस खुशनुमा ज़िन्दगी को ज़िये जाने के लिये , बाह खोले जा रहा आकाश की दहलिज तलक सारे अरमान गले लगा कर ज़िये ज़ाने के लिये , बुढ़ें चहरे पर झूर्रियों तले मुस्कुराहट को जी रहा ज़ियें जाने के लिये , कसरत जवां सा किये जा रहा मैं थोड़ा और ज़िये ज़ाने के लिये , नादियों मे गोते लगाता ,फुलों से खुशबू चुराता भवरों सा ज़िये ज़ाने के लिये , बुढ़िं आँखो पर चश्मा लिये सफेद हंश सा मेरा योवन इस सपने को जी रहा ज़िये ज़ाने के लिये, राहुल कुमार खटिक #old age is best part of our life