"एक चिट्ठी आई डाकिया मेरे घर के पास, 'देखकर खुशी के छलकते एहसास, "कागज का टुकड़ा आसमानी, "रंग का नीला सा , "संदेश अपनों का लाता, "उत्सुकता से चिट्ठी खोल देखने कि बैचैनी,, "भाई सरहद पर खड़ा, "पिताजी नौकरी के लिए गए परदेस, "बहन ससुराल से भेजे सुकुशल संदेश,, " प्रिय मित्र प्रेम जताती, "जाने कितने भाव से भरा, "यह कागज का टुकड़ा, "ये चिट्ठी मोती भरे शब्दों, "को पिरोए हुए होती। "लिखने वाले के मन के, "एहसास चिट्ठी में उकेर देती, चिट्ठी आई डाकिया मेरे घर के पास, 'देखकर खुशी के छलकते एहसास, "कागज का टुकड़ा आसमानी, "रंग का नीला सा , "संदेश अपनों का लाता, "उत्सुकता से चिट्ठी खोल देखने कि बैचैनी,, "भाई सरहद पर खड़ा,