बहुत सादे बनते हो... गर तुम लिखते न मोहब्बत तो फिर समझते न मोहब्बत बयां है तब ये जब कहा हो अब कहना या लिखना हो पर एहसास मेरे निकलें उनके सामने जब सोच में मिले वो चाहे मिल जाएं वो यकायक किसी मोड़ पर कभी यूँ भी तो हो....* (*तेरे ख़ुश्बू में बसे ख़त एल्बम जो जगजीतसिंह जी ने अपनी आवाज़ के जादू में सजाई उसका एक गाना गुनगुनाता हूँ जिसे जावेद अख़्तर साहब खूब लिखते हैं....) कभी यूँ भी तो हो...x 2 दरिया का साहिल हो, पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ... कभी यूँ...X 2 परियों की महफ़िल हो, कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ... कभी यूँ...X 2 कभी यूँ भी तो हो ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें, जब घर से तुम्हारे गुज़रें, तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें मेरे घर ले आएं कभी यूँ भी तो हो X 2... #yqdidi #mythoughts #mohhabat #pragya❤️ #YourQuoteAndMine Collaborating with Pragya Pandey