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जाने कब साँसों को सुकूँ मिलेगी भटकती निगाहों को, र

जाने कब साँसों को सुकूँ मिलेगी
भटकती निगाहों को, राहें कब दिखेगी
हर शाम निराशो में बदली रहती है आजकल
जाने कब आंगन में अपने, दिया खुशी की जलेगी

©K Atulya
  #dipressed_heart
kaushalraj2765

K_ATulYA

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#dipressed_heart

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