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घर से दूर घर को ही बनाने निकले हैं, कागज के पंख से

घर से दूर घर को ही बनाने निकले हैं,
कागज के पंख से खुद को उड़ाने निकले हैं,
माना गिरना उठना लगे रहता है जिंदगी में,
कोई और गिरे तो भी हम अपना 
हाथ बढ़ाने निकले हैं।।
है दौर भाग वाली नीरस पड़ी जिंदगी, 
हम तो हर वक्त रंग जमाने निकले हैं...


to be continued....

©Abhishek Sharma #poetries_of_Abhi 

#Dark
घर से दूर घर को ही बनाने निकले हैं,
कागज के पंख से खुद को उड़ाने निकले हैं,
माना गिरना उठना लगे रहता है जिंदगी में,
कोई और गिरे तो भी हम अपना 
हाथ बढ़ाने निकले हैं।।
है दौर भाग वाली नीरस पड़ी जिंदगी, 
हम तो हर वक्त रंग जमाने निकले हैं...


to be continued....

©Abhishek Sharma #poetries_of_Abhi 

#Dark