सुनो ,,,, उन्माद और उम्मीदों का कोई एक दीपक जला दो ना अपने भावों का अनूठा ओर अनूपम दीया बना लो ना , इन सूखी हुईं संवेदनाओं और उदासियों में फिर से वही सागर वहा दो ना , सुनो,,,, उन्माद और उम्मीदों का एक दीपक जला लो ना, ये दूषित हवा और वीरान सड़कों का सन्नाटा मिटा लो ना अपने शहर ,गांव और मोहल्ले में आशा की किरण जगा दो ना सुनो ,,,,एक आशा और उम्मीदों का दीपक जला लो ना ।।।।।।by n,s ek deepak umid ka