हैरान हूँ... खोया -सा है सागर उसकी आँखों में, हैरान हूँ मैं उसकी बातों में झाँककर!! उसका यूँ अक्सर दरवाजे पर आँखें बिछाना, हैरान हूँ मैं उसकी आँखों में झाँककर !! है सहज परिभाषा वो प्रीत की ऐसी जहाँ सादगी की विमाएँ फैली है सर्वत्र !! वो प्यारी -सी अदाएँ जहाँ खुशियाँ फैली है सर्वत्र !! खोया -सा है सागर उसकी आँखों में, हैरान हूँ मैं उसकी आँखों में झाँककर !! उसका यूँ अक्सर दरवाजे पर आँखें बिछाना, हैरान हूँ मैं उसकी आँखों में झाँककर !! है वो शीतलता की ठंडी -छाँव -सी हमेशा, हैरान हूँ मैं उसके आँगन की धूप को देखकर !! वो खुशियों की दास्तां -सी होती है हमेशा, हैरान हूँ मैं उसके आँगन की उदासियों की घनी छाँव को देखकर !!