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इश्क़ ने सैकडों को मारा है बाक़ी अब फैसला तु

इश्क़  ने  सैकडों  को  मारा है 
बाक़ी  अब  फैसला  तुम्हारा  है 

और  तो कुछ  नहीं बचा  मुझमें 
अब ग़ज़ल तेरा  ही  सहारा है 

घर  से निकला तब जान पाया मैं 
कितना रौशन  यहाँ  नज़ारा  है 

कल  तेरी  शान  हुआ  करता  था 
शख्स  जो  आजकल हमारा  है 

इतना कुछ  लाभ इसमें  है ही  नहीं
जितना  इस  इश्क़  में  खसारा  है 

यूँ  नहीं  रहता  है  अदब  में  वो  
तख्त  से  उसको भी   उतारा  है  

अम्न की बात करता  रहता  है 
देखो  वो  शख्स कितना प्यारा  है 
 
एहतियातन घरों में रहना है 
बस यही एक आज चारा है #आदर्श_दुबे 
#Aadarsh_Dubey
इश्क़  ने  सैकडों  को  मारा है 
बाक़ी  अब  फैसला  तुम्हारा  है 

और  तो कुछ  नहीं बचा  मुझमें 
अब ग़ज़ल तेरा  ही  सहारा है 

घर  से निकला तब जान पाया मैं 
कितना रौशन  यहाँ  नज़ारा  है 

कल  तेरी  शान  हुआ  करता  था 
शख्स  जो  आजकल हमारा  है 

इतना कुछ  लाभ इसमें  है ही  नहीं
जितना  इस  इश्क़  में  खसारा  है 

यूँ  नहीं  रहता  है  अदब  में  वो  
तख्त  से  उसको भी   उतारा  है  

अम्न की बात करता  रहता  है 
देखो  वो  शख्स कितना प्यारा  है 
 
एहतियातन घरों में रहना है 
बस यही एक आज चारा है #आदर्श_दुबे 
#Aadarsh_Dubey