इश्क़ ने सैकडों को मारा है बाक़ी अब फैसला तुम्हारा है और तो कुछ नहीं बचा मुझमें अब ग़ज़ल तेरा ही सहारा है घर से निकला तब जान पाया मैं कितना रौशन यहाँ नज़ारा है कल तेरी शान हुआ करता था शख्स जो आजकल हमारा है इतना कुछ लाभ इसमें है ही नहीं जितना इस इश्क़ में खसारा है यूँ नहीं रहता है अदब में वो तख्त से उसको भी उतारा है अम्न की बात करता रहता है देखो वो शख्स कितना प्यारा है एहतियातन घरों में रहना है बस यही एक आज चारा है #आदर्श_दुबे #Aadarsh_Dubey