तमस की फैली काली छाया उजड़ा चमन उजाले का, कौन बताए भेद हमें अब विष-अमृत के प्याले का। त्याग दिए गांडीव पार्थ ने गीता भूल चुके कृष्णा, मरूभूमि में भटक रहे हम दिखती केवल मृगतृष्णा। ©®सोमेश त्रिवेदी (पीयूष) #NojotoQuote तमस की फैली काली छाया उजड़ा चमन उजाले का, कौन बताए भेद हमें अब विष-अमृत के प्याले का। त्याग दिए गांडीव पार्थ ने गीता भूल चुके कृष्णा, मरूभूमि में भटक रहे हम