गर्व किस बात का यापन है, संचार का फक्कड़ बनो या बनो मसीहा साफ़गोई है, स्वीकार का तुम जब से गणना में हो अवकाश ही अवकाश है, विचार का नेकी बदी सब धूल मिट्टी हैं बहलाव हैं, श्रृंगार का क्या लाये और क्या ले जाना सब भंगुर है, व्यापार का गर्व किस बात का व्यापार है, सरोकार का सब क्षणिक है👾 सुप्रभात। जिसको जीवन की क्षणभंगुरता का ज्ञान हुआ, उसने गर्व करना छोड़ दिया। #गर्वकिसबातका #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #life #poetry