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तुम कलम की स्याही से लिखी एक मुक़म्मल गजल सी हो ,

तुम कलम की स्याही से लिखी
एक मुक़म्मल गजल सी हो ,

में टूटी पेंसिल से लिखी 
किसी मासूम बच्चे की गलती सा हूँ ......


अज्ञात.....
तुम कलम की स्याही से लिखी
एक मुक़म्मल गजल सी हो ,

में टूटी पेंसिल से लिखी 
किसी मासूम बच्चे की गलती सा हूँ ......


अज्ञात.....
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Prahalad

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