तुमको क्या खबर के रगों में दौड़ता हूं न भी कोई एहसास लिखूं या तुम इंतजार करो पेड़ का प्रकृति सी असमानता तुम्हें फर्क लगता है । देख पैरों k निशान भी एक से नहीं होते मैं आसान नहीं मगर आह (!) (आ)काश, यूं ही तेरे हाथों की लकीरों में अनगिनत सा सुंदर समुद्री संसार सा हूं । धूप की हल्की आग जैसे चारों ओर... सब जगह सर्वत्र.... सीप हूं या मछलियां या अन्य जलीय जीव या फिर ये टिमटिमाते दिन के तारे और ये रात के उजाले। गगन और चमन और जल.., और तुम... सफ़र अधूरा छोड़ दिया... #सफ़रअधूरा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi