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कई बार सोचता हूं मैं, कितनी अजीब बात है ना ? जिस र

कई बार सोचता हूं मैं, कितनी अजीब बात है ना ?
जिस रावण को हम गर्व से जलाते हैं, उसे पहले हम खुद ही बनाते हैं। 
आखिर क्यूं ज़रूरत पड़ती है हमें, पाप के उदाहरण की,
पावन‌ को समझने के लिए ?
काश! हम ऐसे रावण को फलने-फूलने ही नहीं देते, 
हमारे समाज के अंदर या यूं कहें हमारे भीतर।।

यह बुराई पर पर सच्चाई की जीत का नहीं, विचार करने का दिन है,
कि हर बार ऐसे रावण को जन्म देकर, दहन करना, खुशी का प्रतीक है,
या उस सोच पर चिंतन करने का दिन है ?
जो कहती है, चाहती है, जिसने मान‌ लिया, कि रावण तो हर बार आएगा ही।
और हम एक कागज़ के पुतले को जला कर,
आंखें मूंद, बार बार मान लेंगे कि यही सत्य है, यही जीत है।।

हर्ष और उल्लास के नाटक से, अपने आप को समझाने की कोशिश करेंगे, 
कि रावण फिर खत्म हो गया।
पर क्या सच में ऐसा ही है ?
या कहीं मन में छिपा रावण, इस छलावे से बहुत खुश तो नहीं ?

वह प्रसन्न हैं इस नाटक से जहाॅं वह स्वयं, 
अपने पुतले में अपना नश्वर रूप जलता देख, फिर विजयी हुआ,
सफल हुआ, ध्यान बंटाने में, फिर हर किसी का,
और वह जीवित है, यहीं है सबके करीब, हमेशा ही रहेगा ।।

क्यूं कि रावण, विचार में रहता है,
त्यौहार में नहीं।।

©Arc Kay #shaayavita #Raavan #Vijaydashmi #Vijayadashami #raavan_in_u #raavan_soch_hai

#Dussehra
कई बार सोचता हूं मैं, कितनी अजीब बात है ना ?
जिस रावण को हम गर्व से जलाते हैं, उसे पहले हम खुद ही बनाते हैं। 
आखिर क्यूं ज़रूरत पड़ती है हमें, पाप के उदाहरण की,
पावन‌ को समझने के लिए ?
काश! हम ऐसे रावण को फलने-फूलने ही नहीं देते, 
हमारे समाज के अंदर या यूं कहें हमारे भीतर।।

यह बुराई पर पर सच्चाई की जीत का नहीं, विचार करने का दिन है,
कि हर बार ऐसे रावण को जन्म देकर, दहन करना, खुशी का प्रतीक है,
या उस सोच पर चिंतन करने का दिन है ?
जो कहती है, चाहती है, जिसने मान‌ लिया, कि रावण तो हर बार आएगा ही।
और हम एक कागज़ के पुतले को जला कर,
आंखें मूंद, बार बार मान लेंगे कि यही सत्य है, यही जीत है।।

हर्ष और उल्लास के नाटक से, अपने आप को समझाने की कोशिश करेंगे, 
कि रावण फिर खत्म हो गया।
पर क्या सच में ऐसा ही है ?
या कहीं मन में छिपा रावण, इस छलावे से बहुत खुश तो नहीं ?

वह प्रसन्न हैं इस नाटक से जहाॅं वह स्वयं, 
अपने पुतले में अपना नश्वर रूप जलता देख, फिर विजयी हुआ,
सफल हुआ, ध्यान बंटाने में, फिर हर किसी का,
और वह जीवित है, यहीं है सबके करीब, हमेशा ही रहेगा ।।

क्यूं कि रावण, विचार में रहता है,
त्यौहार में नहीं।।

©Arc Kay #shaayavita #Raavan #Vijaydashmi #Vijayadashami #raavan_in_u #raavan_soch_hai

#Dussehra
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