मासूम सा चेहरा तेरा इसे पहचान न पाया जब बदला तो यह साँप की फूँकार में बदला । तेरे मासूम चेहरे ने मुझे खिलौना बनाके रखा जब तोरा तो शीशे की तरह पल में तोर दिया । न शिकवा न गिला रहा तुझसे अब जहा भी रहो खुशहाल रहो मेरे यार दुआ है दिल से। अशोक कुमार poet मासूम चेहरा