बडे गजब की प्यास लगी है साकी भर ला पैमाना..... अधरों से जो आज पिला दे पी जाऊ मैं मयखाना....... तुझसे तुझको पीने की खातिर बन जाऊ मैं परवाना.... गर तुम एक उद्दीप्त शमा हो तो मंजूर मुझे है जल जाना.... तुमसे स्नेह मिलन की खातिर उठा चुका हूं पैमाना.... अब ये जीवन भर साथ रहेगा चाहे रोज पडे मुझे मर जाना.... साकी तुम सुंदर बदली हो शीतल हाला बरसाना..... बिन्दु बिन्दु नहीं एक धार में मुझको तर अब कर जाना.... मधुरस पीने की आशा में.... भूल गया हूं घर जाना.... मधुप बना मैं बैठा हूं और नहीं अब तरसा ना... -manish choudhary #saaki