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मुजफ्फरपुर में मरे बच्चों के लिए दो शब्द.... मुस्क

मुजफ्फरपुर में मरे बच्चों के लिए दो शब्द....
मुस्कुराइए आप हिंदुस्तान में हैं।
क्या हो गया है तुम सबको ,क्यों अनजाने से बैठे हो,
मर गए सवा सौ बच्चे वहां,तुम देश चलाने बैठे हो।
गर फुरसत मिले विदेश भ्रमण से तो इक बार स्वदेश आ ही जाना,
है बड़ी जरूरत आज इन्हें फिर से निराश ना कर जाना।
भेज रहे हो चन्द्रयान को, बहुत बधाई तुमको हो,
खामोश पड़े इन चांदो पर भी एक नजर ही डालो तो।
जीत लिया है पाक मैच को, अब थोड़े दिन तो खुश रहना,
साधे हो चुप्पी बच्चों पे, क्या इनपे अफसोस नहीं करना।
कोई पूछो उस बेचारी मां से,उसके दिल पे क्या बीती होगी,
नहीं रहा अब लाल तुम्हारा, वो नर्स जो उसपे चीखी होगी।
जिसकी नही सुनी किसी ने, वो बाप बड़ा बेबस होगा,
तड़पा होगा, रोया होगा, जब बेटा उसका सोया होगा।
गर मंदिर,मस्जिद की बजाय अच्छे अस्पताल बनवा देते,
क्या हिन्दू के,क्या मुस्लिम के, दोनों के लाल जीवित होते।
नहीं चाहिए विकास तुम्हारा,नहीं चाहिए ऐसी तरक्की।
मर गए सैकड़ों बच्चे वहां,क्या थी ऐसी मजबूरी।
जो शहीद हो रहे वीर सीमा पर, दम तोड़ते बच्चे घर में ही,
कुछ बच जाते, कुछ जी पाते,अगर देते समय पर गोली ही।
कहाँ गए वो पत्रकार, कहाँ छुपे वो दल वाले हैं,
क्या धर्म,जाति और भेदभाव बस यही तुम्हारे दायरे हैं।
नहीं चाहिए राम अलग से, नहीं चाहिए अल्लाह भी,
बनवा दो कुछ अच्छे अस्पताल, जहां रहें दुआएं दोनों की ही।
                     
                                      -- Harsh patel { DELED- 2018 } HARSH PATEL
मुजफ्फरपुर में मरे बच्चों के लिए दो शब्द....
मुस्कुराइए आप हिंदुस्तान में हैं।
क्या हो गया है तुम सबको ,क्यों अनजाने से बैठे हो,
मर गए सवा सौ बच्चे वहां,तुम देश चलाने बैठे हो।
गर फुरसत मिले विदेश भ्रमण से तो इक बार स्वदेश आ ही जाना,
है बड़ी जरूरत आज इन्हें फिर से निराश ना कर जाना।
भेज रहे हो चन्द्रयान को, बहुत बधाई तुमको हो,
खामोश पड़े इन चांदो पर भी एक नजर ही डालो तो।
जीत लिया है पाक मैच को, अब थोड़े दिन तो खुश रहना,
साधे हो चुप्पी बच्चों पे, क्या इनपे अफसोस नहीं करना।
कोई पूछो उस बेचारी मां से,उसके दिल पे क्या बीती होगी,
नहीं रहा अब लाल तुम्हारा, वो नर्स जो उसपे चीखी होगी।
जिसकी नही सुनी किसी ने, वो बाप बड़ा बेबस होगा,
तड़पा होगा, रोया होगा, जब बेटा उसका सोया होगा।
गर मंदिर,मस्जिद की बजाय अच्छे अस्पताल बनवा देते,
क्या हिन्दू के,क्या मुस्लिम के, दोनों के लाल जीवित होते।
नहीं चाहिए विकास तुम्हारा,नहीं चाहिए ऐसी तरक्की।
मर गए सैकड़ों बच्चे वहां,क्या थी ऐसी मजबूरी।
जो शहीद हो रहे वीर सीमा पर, दम तोड़ते बच्चे घर में ही,
कुछ बच जाते, कुछ जी पाते,अगर देते समय पर गोली ही।
कहाँ गए वो पत्रकार, कहाँ छुपे वो दल वाले हैं,
क्या धर्म,जाति और भेदभाव बस यही तुम्हारे दायरे हैं।
नहीं चाहिए राम अलग से, नहीं चाहिए अल्लाह भी,
बनवा दो कुछ अच्छे अस्पताल, जहां रहें दुआएं दोनों की ही।
                     
                                      -- Harsh patel { DELED- 2018 } HARSH PATEL
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