बै पणहारी बै पणघट बै दिन और बै रातां अब बी बड़ी सतावै है बै प्यारी पणघट री बातां आपां पाणी भर बा जाता जद कुएँ री मंडेर प टकराता देख मुखड़ो खिल जाता म्हारो जीवड़ो नूं हरसाता जीयाँ जेठ री दुपहरी म बिन बादली मेह सो बरसाता बियाँ काळजो सीलो कर जाता अब कठै सूं आवै बै बीतेडा दिन कठै बै दूधिया चाँदनी सूं नहाई रातां सगळा भाया बहणा न घणी घणी खम्मा और राम राम सा 🙏 बै पणहारी बै पणघट बै दिन और बै रातां अब बी बड़ी सतावै है बै प्यारी पणघट री बातां आपां पाणी भर बा जाता जद कुएँ री मंडेर प टकराता देख मुखड़ो खिल जाता