महजबीं की तबस्सुम मेरा दिल चुरा कर, मुझे बेकरार कर गई। इजहार-ए-मोहब्बत करने को, मेरे दिल की आरजू मचल गई। इकरार-ए-मोहब्बत हो जाए, तो मेरे दिल को करार मिल जाए। फिरदौस सी लगने लगे दुनियां और मोहब्बत भी नज्म बन जाए। 🌝प्रतियोगिता- 17🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"इज़हार-ए-मोहब्बत"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I