प्रिये दादा जी मैं इतना खुशनसीब नहीं था, कि मुझे आपका प्यार मिलता। मेरे जन्म से पहले ही आप और दादी न जाने कौन से जहाँ में चले गए। बिना आपके सानिध्य के बचपन गुजारा है। बगैर दादा,दादी के बचपन में आनंद कहाँ होता है। काश मैं तुम्हें देख पाता। कुछ ख्वाहिसें कभी पूरी नहीं होतीं, बस दिल में कसक रह जाती है। ये ख्वाहिस भी कुछ ऐसी ही है। अधूरा बचपन। #Oldpeople #दादाजी