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पँखुड़ी इक गुलाब की, मुरझाती रही हर बार..! टूट कर च

पँखुड़ी इक गुलाब की,
मुरझाती रही हर बार..!
टूट कर चाहा था जिसने,
किसी को जान से बढ़कर यार..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #sadak #pankhudi