जैसा तुम्हारा स्वेटर बुनना है वैसा ही मेरा कविता लिखना है, तुम धागे से धागा मिलाती हो, और मैं अक्षर से अक्षर, तुम कुछ चमकीले सितारे लगाती हो, और मैं कुछ अलंकार, तुम्हारे हाथ में सलाई है मेरे हाथों में कलम है, फर्क बस इतना है, तुम्हारी स्वेटर तन को शीत से बचाती है, और मेरी कविता मन को तन्हाई से बचाती हैं, - नागेंद्र गुर्जर कवि #kavita #kavinagendragurjar #hindipoetry #kavy #sahitya #kavi #hindi