बेमतलब फिसलते है,एहसास मखमली हो गए मुस्कान फरेबी चेहरे पे,अंदाज संगदिली हो गए असलियत में नहीं है यहां कोई दर्द बांटने वाला अपनेपन का मुखौटा पहने,रिश्ते नकली हो गए