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// सच से रुबरु // एकांत में रहने के बाद पता चला क

// सच से रुबरु //

एकांत में रहने के बाद पता चला कि
 एकांत हमे उस भीड़ का 
हिस्सा बनने से बचाती है 
जहाँ ना ही आपकी क़दर हो ना ही जरूरत...

 एकांत ही हमे हमारे सच से रूबरू करवाती है 
और लोगों के दो गले चेहरे को भी दिखाती है

©बेजुबान शायर shivkumar एकांत में रहने के बाद पता चला कि
 एकांत हमे उस भीड़ का 
हिस्सा बनने से बचाती है 
जहाँ ना ही आपकी क़दर हो ना ही जरूरत...

 एकांत ही हमे हमारे सच से रूबरू करवाती है 
और लोगों के दो गले चेहरे को भी दिखाती है
// सच से रुबरु //

एकांत में रहने के बाद पता चला कि
 एकांत हमे उस भीड़ का 
हिस्सा बनने से बचाती है 
जहाँ ना ही आपकी क़दर हो ना ही जरूरत...

 एकांत ही हमे हमारे सच से रूबरू करवाती है 
और लोगों के दो गले चेहरे को भी दिखाती है

©बेजुबान शायर shivkumar एकांत में रहने के बाद पता चला कि
 एकांत हमे उस भीड़ का 
हिस्सा बनने से बचाती है 
जहाँ ना ही आपकी क़दर हो ना ही जरूरत...

 एकांत ही हमे हमारे सच से रूबरू करवाती है 
और लोगों के दो गले चेहरे को भी दिखाती है