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क्यों 'बेवज़ह' डरके जीतो हो। तुम किनसे डरके जीते हो

क्यों 'बेवज़ह' डरके जीतो हो।
तुम किनसे डरके जीते हो।

जो साथ नही थे कभी तुम्हारे,
'और' पीठ में ख़ंजर घोंपे थे।
जो तुमको नही थे कभी गवारा,
वो नियम कानून भी थोपे थे।।
जो बदलते हैं मौसम के जैसे,
तुम उनसे डरके जीते हो।।

क्यों 'बेवज़ह' डरके जीतो हो।
तुम किनसे डरके जीते हो।

@R.J Navdeep #Freedom #kinse
क्यों 'बेवज़ह' डरके जीतो हो।
तुम किनसे डरके जीते हो।

जो साथ नही थे कभी तुम्हारे,
'और' पीठ में ख़ंजर घोंपे थे।
जो तुमको नही थे कभी गवारा,
वो नियम कानून भी थोपे थे।।
जो बदलते हैं मौसम के जैसे,
तुम उनसे डरके जीते हो।।

क्यों 'बेवज़ह' डरके जीतो हो।
तुम किनसे डरके जीते हो।

@R.J Navdeep #Freedom #kinse