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फकत अंजाम दुनियादारी काफी है, आदमी को आदमी बनाना क

फकत अंजाम दुनियादारी काफी है,
आदमी को आदमी बनाना काफी है;

इन्सानियत मर चुकी है,  शायद यहां,
कोशिश फरिस्ता जैसी, होना काफी है;

अश्कों भरी अदाए ,बड़ी खुशसुरत है,
संभाषण प्रतियोगिता करना काफी है;

विनाश करने चली है, खोज विज्ञान की,
आण्विक बोम्ब इस्तेमाल करना काफी है;

इश्क करने का अंदाज़ भी ,अफलातून,
रंग-बिरंगे चहेरे ,  बात छुपाना काफी है; फकत अंजाम दुनियादारी काफी है,
आदमी को आदमी बनाना काफी है;

इन्सानियत मर चुकी है,  शायद यहां,
कोशिश फरिस्ता जैसी, होना काफी है;

अश्कों भरी अदाए ,बड़ी खुशसुरत है,
संभाषण प्रतियोगिता करना काफी है;
फकत अंजाम दुनियादारी काफी है,
आदमी को आदमी बनाना काफी है;

इन्सानियत मर चुकी है,  शायद यहां,
कोशिश फरिस्ता जैसी, होना काफी है;

अश्कों भरी अदाए ,बड़ी खुशसुरत है,
संभाषण प्रतियोगिता करना काफी है;

विनाश करने चली है, खोज विज्ञान की,
आण्विक बोम्ब इस्तेमाल करना काफी है;

इश्क करने का अंदाज़ भी ,अफलातून,
रंग-बिरंगे चहेरे ,  बात छुपाना काफी है; फकत अंजाम दुनियादारी काफी है,
आदमी को आदमी बनाना काफी है;

इन्सानियत मर चुकी है,  शायद यहां,
कोशिश फरिस्ता जैसी, होना काफी है;

अश्कों भरी अदाए ,बड़ी खुशसुरत है,
संभाषण प्रतियोगिता करना काफी है;