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जितना भीड़ नही शहरों व बाजारों में उससे ज्यादा भीड़

जितना भीड़ नही शहरों व बाजारों में 
उससे ज्यादा भीड़ हो रही श्मशानों में।
लाशों के अम्बार से बेतरतीब पटा पड़ा 
है श्मशान।
अस्पतालों व श्मशानों के आस-पास
फैला है,मृत्यु की असहनीय पीड़ा के 
मातम का सैलाब।

देश के राजा इस आतातायी मंजर से
बेफिक्र हो राजधर्म का मशाल बुझा 
निभा रहे है बखूबी अपना चुनावधर्म,
पताका फहराने में लगे है लोकतंत्र का 
भले ही धधकती शवो के अम्बार में 
बदलती जाये प्रजातन्त्र।

©आशुतोष यादव #poetryunplugged 
#WForWriters #कोरोना_का_कहर  indira vks Siyag PRATIK BHALA (pratik writes) Raj Yaduvanshi siya pandey
जितना भीड़ नही शहरों व बाजारों में 
उससे ज्यादा भीड़ हो रही श्मशानों में।
लाशों के अम्बार से बेतरतीब पटा पड़ा 
है श्मशान।
अस्पतालों व श्मशानों के आस-पास
फैला है,मृत्यु की असहनीय पीड़ा के 
मातम का सैलाब।

देश के राजा इस आतातायी मंजर से
बेफिक्र हो राजधर्म का मशाल बुझा 
निभा रहे है बखूबी अपना चुनावधर्म,
पताका फहराने में लगे है लोकतंत्र का 
भले ही धधकती शवो के अम्बार में 
बदलती जाये प्रजातन्त्र।

©आशुतोष यादव #poetryunplugged 
#WForWriters #कोरोना_का_कहर  indira vks Siyag PRATIK BHALA (pratik writes) Raj Yaduvanshi siya pandey