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आँखों से ओझल हो गया, टूटा हुआ कोई तारा था छोड़ कर

आँखों से ओझल हो गया, टूटा हुआ कोई तारा था  छोड़ कर गया वही,एक जीवन का सहारा था।
दर्द उसके जाने का कैसे सहेंगे हम।
अबअपना बेटा हसकर,किसे कहेंगे हम।।
वही तो इस नदी का किनारा🌊 था।
आंखों से ओझल हो गया,
टूटा कोई सितारा था।।
हम भी उसके विरह में,ये दुनिया छोड़ रहे हैं।
थे हमारे अपनों से कुछ रिश्ते,वो सब तोड़ रहे हैं।।
तूने जो तीर मारा वो,लाल हमारा था।।
कवि रामदास गुर्जर #श्रवण#कुमार#के #मां #बाप #का #दुख
आँखों से ओझल हो गया, टूटा हुआ कोई तारा था  छोड़ कर गया वही,एक जीवन का सहारा था।
दर्द उसके जाने का कैसे सहेंगे हम।
अबअपना बेटा हसकर,किसे कहेंगे हम।।
वही तो इस नदी का किनारा🌊 था।
आंखों से ओझल हो गया,
टूटा कोई सितारा था।।
हम भी उसके विरह में,ये दुनिया छोड़ रहे हैं।
थे हमारे अपनों से कुछ रिश्ते,वो सब तोड़ रहे हैं।।
तूने जो तीर मारा वो,लाल हमारा था।।
कवि रामदास गुर्जर #श्रवण#कुमार#के #मां #बाप #का #दुख