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जो चाहते ही नहीं दो घूंट आग को पीकर बाज़ार में गुलफ

जो चाहते ही नहीं दो घूंट आग को पीकर बाज़ार में गुलफिशां बेचैनी से बेचूँ,
वो गर्मजोशी क्यूँ सिखाते हैं, मैं तो कबका मक़बरा हूँ, भला रेत तो गर्म-सर्द तो देखूँ,
मगर राख़ कैसे गर्म करूँ....— % & #शायरी_के_अल्फ़ाज़ #शायरी  #योरकोट_दीदी #योरकोटबाबा
जो चाहते ही नहीं दो घूंट आग को पीकर बाज़ार में गुलफिशां बेचैनी से बेचूँ,
वो गर्मजोशी क्यूँ सिखाते हैं, मैं तो कबका मक़बरा हूँ, भला रेत तो गर्म-सर्द तो देखूँ,
मगर राख़ कैसे गर्म करूँ....— % & #शायरी_के_अल्फ़ाज़ #शायरी  #योरकोट_दीदी #योरकोटबाबा
madhav1592369316404

Madhav Jha

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