जौहरी ही पहचाने , हीरे का मोल असल-नकल का भेद जो देता खोल चमकती हर चीज, होती नहीं सोना जो ना पहचाने, उसको पड़ता रोना नाले, गधेरे उथले,करते जमकर शोर गहरी नदी शांत बहती, इससे,उस छोर अल्प ज्ञान होता,जैसे चिकित्सक झोला छाप ज्ञानी जन जानते, क्या है पुण्य, क्या होता पाप स्वरचित ©Kamlesh Kandpal #Dohe