अक्सर बैठ जाता हूं तन्हा में कुछ यादों कुछ लम्हों के साथ फिर सोचता हूं की क्या करूंगा किसी से मोहब्बत करके मैं काफी है मेरे लिए उसकी बेपनाह चाहत के वो दो पल Dil ki baatein