White दोस्त आंखो से ओझल हो रहे है पर दोस्ती अभी बर

White दोस्त आंखो से ओझल हो रहे है
पर दोस्ती अभी बरकरार है 
पल जैसे बिखर रहे है 
सिमटे हुए थे कब से
दर्द का समा बन रहा है 
पर मंज़िल की तलाश भी तो पूरी करनी है 
सफर कितना सुहाना था 
दोस्तों का जो साथ था
हम कहा तक जाते साथ साथ
कही तो ठहरना  पड़ेगा 
खुबसुरत साथ को तोड़ना पड़ेगा
हो रही है आंखे नम पर ये सहना पड़ेगा 
बीती ज़िंदगी कैसे गुज़री थी 
जब मुड़कर देखते है 
साथ एक दूसरे के हर हाल में थे
ना टूटे ना बिखरे बस हौसला बरकरार रखा
दिल करता है वो पल वापस लौट कर आते 
बस ये काश लफ्ज़ रह गया बाकी .

©Shayari by Sanjay T
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