मैं औ'मेरे ख्वाब -------------------- मैं रोता हूँ, दर्द की सैय्या पर सोता हूँ। रश्मि की डोरी में,खुद को पिरोता हूँ।। अगणित ख्वाबों को अंतस्थ में लिए। उनकी वाटिका में खुद को डुबोता हूँ।। अजनबी को देख भभर जाते हैं सब। धीरे - धीरे दोस्ती का हाथ बढाता हूँ।। हम अपरिचित से परिचित होने लगे। इस दुनिया की दास्तान उन्हें सुनाता।। अविचलित हुए, कर्ण साधे मुझ पर। मैं शब्दों का अंजुमन वहाँ सजाता हूँ। खुद को छोड़ वहाँ राख लाया हूँ यहाँ। अरमानों के चिताओं से दर्द निगोता हूँ। -------------------------------- कुन्दन कुंज #कुन्दन_कुंज #काव्यकुंज #kavikundanbahardar #leftalone