#Pehlealfaaz आज इक बार फिर से, हिम्मत जोड़ के हम उनकी महफ़िल में खड़े थे, और वो हमसे बडी शान से, कह रहे थे,'इरशाद', आखिर हमने भी पूछ ही लिया, सच सुनाने पर खुशामदीदें भी मिला करती हैं क्या। क्या अर्ज करूं,क्या दर्ज करूं