Nojoto: Largest Storytelling Platform

आस लगाए बैठा हूँ तुमसे, बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा।

आस लगाए बैठा हूँ तुमसे,
बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा।
 सावन बीता सूखा-सूखा पर,
भादाे आस जगाए रे बदरा।
 
जाे था पास मेरे वाे खेतों पर,
बैठा हूँ सब लगाए रे बदरा।
 अंतिम आस तुम्ही हो पर,
दिल भी अब घबराए रे बदरा।
 
कहलाता हूँ अन्नदाता पर,
फसल अब रूलाए रे बदरा।
 भूख सभी की मिटाता हूँ पर,
फसलों की प्यास काैन बुझाए रे बदरा।
 
आस लगाए बैठा हूँ तुमसे,
बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा।
 सावन बीता सूखा-सूखा पर,
भादाे आस जगाए रे बदरा।
 
अब न बरसे जाे तुम पौधों पर,
तड़प-तड़प मर जाए रे बदरा।
 जब न रहे फसल मेरी ताे,
अन्नदाता कैसे कहलाएँ रे बदरा।
 
आस लगाए बैठा हूँ तुमसे,
बरसाेगे कब बताएँ रे बदरा।
 सावन बीता सूखा-सूखा पर,
भादाे आस जगाए रे बदरा।

©Sanjay Sahu वर्षा ऋतु का आगमन पर वर्षा न होने से किसान अपनी फसलों के लिए चिंतित है।

#OneSeason
आस लगाए बैठा हूँ तुमसे,
बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा।
 सावन बीता सूखा-सूखा पर,
भादाे आस जगाए रे बदरा।
 
जाे था पास मेरे वाे खेतों पर,
बैठा हूँ सब लगाए रे बदरा।
 अंतिम आस तुम्ही हो पर,
दिल भी अब घबराए रे बदरा।
 
कहलाता हूँ अन्नदाता पर,
फसल अब रूलाए रे बदरा।
 भूख सभी की मिटाता हूँ पर,
फसलों की प्यास काैन बुझाए रे बदरा।
 
आस लगाए बैठा हूँ तुमसे,
बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा।
 सावन बीता सूखा-सूखा पर,
भादाे आस जगाए रे बदरा।
 
अब न बरसे जाे तुम पौधों पर,
तड़प-तड़प मर जाए रे बदरा।
 जब न रहे फसल मेरी ताे,
अन्नदाता कैसे कहलाएँ रे बदरा।
 
आस लगाए बैठा हूँ तुमसे,
बरसाेगे कब बताएँ रे बदरा।
 सावन बीता सूखा-सूखा पर,
भादाे आस जगाए रे बदरा।

©Sanjay Sahu वर्षा ऋतु का आगमन पर वर्षा न होने से किसान अपनी फसलों के लिए चिंतित है।

#OneSeason
sanjaysahu9156

Sanjay Sahu

New Creator

वर्षा ऋतु का आगमन पर वर्षा न होने से किसान अपनी फसलों के लिए चिंतित है। #OneSeason