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जीवन परिचय जन्म लेने के साथ ही मनुष्य के जन्म में

जीवन परिचय जन्म लेने के साथ ही मनुष्य के जन्म में भिन्न भिन्न प्रकार की परीक्षाएं प्रारंभ हो जाती है छोटी बड़ी ना जाने कितनी परीक्षाएं व्यक्ति को जीवन पर्याप्त देनी पड़ती है कुछ मैं तो व्यक्ति सफल हो जाता है तो कुछ मेरा सफलता मिलती है व्यक्ति की सारी उपलब्धियां सफलताएं असफलताएं जीवन की उन्हीं परीक्षा में पास और फेल होने पर निर्भर है जीवन जगत में प्रवेश लेने के साथ साथ ही निश्चित हो जाता है कि हमें जीवन की परीक्षाओं से दो चार होना होगा जैसे ही एक विद्यार्थी के विद्यालय में प्रवेश लेने के साथ साथ ही तय हो जाता है कि उसके सम्मुख प्रश्नपत्र आएंगे इनमें से कुछ प्रश्न कठिन एवं कुछ सरल होते हैं विद्यार्थी सरल प्रश्नों को देखकर खुश और कठिन प्रश्नों को देखकर दुख हो जाता है पर इस प्रशन की कठिन था घटती नहीं यदि वह इन कठिन प्रश्नों को देखकर परेशान हो जाता है तो इससे प्रसन्न की कठिन था व्यक्ति ही नहीं उल्टा विद्यार्थी की असफलता की आशंका बढ़ जाएगी इसके विपरीत यदि वह शांत चित्त होकर प्रश्न को हल करने का प्रयास करेगा तो उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी ठीक ऐसा ही मनुष्य के जीवन में भी होता है जीवन की परीक्षा में भी लोग दुख कठिन अता आदि प्रतियोगिताएं आती है मनुष्य को शांत चित्त होकर विचार पूर्वक उनका सम्मान करना चाहिए शिव पुराण में उल्लेख है कि दाता की परीक्षा दुर्भिक्ष में वीर की युद्ध में मित्र की आफत काल में अच्छे कुल की विपत्ति में परिवार के पक्ष में सत्य की परीक्षा संकट के समान होती है परीक्षा जीवन के कालेपन और 68 दोनों को ज्यादा जचती है जैसे सोने की शुद्धता की परीक्षा अग्नि से होती है तो उसके खट्टे फल की परीक्षा भी अग्नि से ही होती है इस परीक्षा में सोने को काटकर दबाकर गैस कर और पीटकर जांचा जाता है उसी प्रकार त्याग शीलगुण और कर्म इन चार प्रकारों से परीक्षा पुरुष की परीक्षा ली जाती है इसलिए जीवन की हर परीक्षा का सामना शांत चित्त होकर करना

©Ek villain #Givan 

#Love
जीवन परिचय जन्म लेने के साथ ही मनुष्य के जन्म में भिन्न भिन्न प्रकार की परीक्षाएं प्रारंभ हो जाती है छोटी बड़ी ना जाने कितनी परीक्षाएं व्यक्ति को जीवन पर्याप्त देनी पड़ती है कुछ मैं तो व्यक्ति सफल हो जाता है तो कुछ मेरा सफलता मिलती है व्यक्ति की सारी उपलब्धियां सफलताएं असफलताएं जीवन की उन्हीं परीक्षा में पास और फेल होने पर निर्भर है जीवन जगत में प्रवेश लेने के साथ साथ ही निश्चित हो जाता है कि हमें जीवन की परीक्षाओं से दो चार होना होगा जैसे ही एक विद्यार्थी के विद्यालय में प्रवेश लेने के साथ साथ ही तय हो जाता है कि उसके सम्मुख प्रश्नपत्र आएंगे इनमें से कुछ प्रश्न कठिन एवं कुछ सरल होते हैं विद्यार्थी सरल प्रश्नों को देखकर खुश और कठिन प्रश्नों को देखकर दुख हो जाता है पर इस प्रशन की कठिन था घटती नहीं यदि वह इन कठिन प्रश्नों को देखकर परेशान हो जाता है तो इससे प्रसन्न की कठिन था व्यक्ति ही नहीं उल्टा विद्यार्थी की असफलता की आशंका बढ़ जाएगी इसके विपरीत यदि वह शांत चित्त होकर प्रश्न को हल करने का प्रयास करेगा तो उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी ठीक ऐसा ही मनुष्य के जीवन में भी होता है जीवन की परीक्षा में भी लोग दुख कठिन अता आदि प्रतियोगिताएं आती है मनुष्य को शांत चित्त होकर विचार पूर्वक उनका सम्मान करना चाहिए शिव पुराण में उल्लेख है कि दाता की परीक्षा दुर्भिक्ष में वीर की युद्ध में मित्र की आफत काल में अच्छे कुल की विपत्ति में परिवार के पक्ष में सत्य की परीक्षा संकट के समान होती है परीक्षा जीवन के कालेपन और 68 दोनों को ज्यादा जचती है जैसे सोने की शुद्धता की परीक्षा अग्नि से होती है तो उसके खट्टे फल की परीक्षा भी अग्नि से ही होती है इस परीक्षा में सोने को काटकर दबाकर गैस कर और पीटकर जांचा जाता है उसी प्रकार त्याग शीलगुण और कर्म इन चार प्रकारों से परीक्षा पुरुष की परीक्षा ली जाती है इसलिए जीवन की हर परीक्षा का सामना शांत चित्त होकर करना

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