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Er Shailesh Khanduri ©Shailesh Khanduri #Facebook

Er Shailesh Khanduri

©Shailesh Khanduri #Facebook 
ज्योतिष (एक नई पहल सत्यता के साथ) भाग ७
ज्योतिष के मूल सिद्धांत :
कर्मा संरेखण तकनीक( KARMA ALLIGNMENT TECHNIQUES
 टॉपिक:KAT में बुध ग्रह का महत्व
  साधारण रूप में हम ज्योतिष को एक निश्चित भाग्य(fixed destiny) के रूप में देखते हैं कि अगर ये युति हुई तो ऐसा होगा पर हम निश्चित भाग्य और भविष्यवाणी पर बात नही करेंगे..आज हम बात करेंगे कि कोई भी ग्रह चाहे किसी भी अवस्था में हो हम उससे लाभ कैसे ले सकते हैं उसका टूल क्या है ये निश्चित भाग्य का बिल्कुल विपरीत है हम ये देखेंगे कि जो ग्रह हमारी कुंडली में जहां बैठा है हम उससे कैसे फायदा लें कैसे implement or allign karen baki wo बुरा प्रभाव न देकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रभाव दे उसे उसी के कारकों के द्वारा एलाइन करके दरअसल ये भृगु नंदी नाडी में एक बदलाव है उसका एक अप्लाइड वर्जन है जो कि बिलकुल शत प्रतिशत कार्य करेगा भले ही एक बार के लिए ज्योतिष के सूत्र लागू हो या ना हों और ये complected भी नही होगा यहां आपको वक्री अस्त निर्बल कुछ नही देखना ..देखना है तो सिर्फ उसका प्लेसमेंट और उसका कारकत्व..अगला लेख लिखने से पहले आप सभी जिज्ञासु सज्जनों से अनुरोध है कि वो तब तक एक चीज नोट करके रख ले आज हम बुध की बात करेंगे
1----- अपनी अपनी कुंडली में ये देखें कि बुध कहां है वो कहीं भी हो उससे मतलब नहीं है बस बुध से 1,2,5,7 वे भाव को देखें और जो ग्रह इनमे हैं उन्हें नोट कर लें अब इन्ही ग्रहों की डिग्री कर्मानुसार लिखें मतलब आपको बुध की एक स्ट्रिंग बनानी है जो बुध की डिग्री के सबसे पास और सबसे दूर हो उसे नोट कर लें ..जिसे समझ नही आया मैं एक उदाहरण से समझा देता हूं 
माना कि कुंडली में बुध(1डिग्री), अष्टम में सूर्य(23 डिग्री),चंद्रमा(18),शुक्र(16) राहु(10),के साथ है(पांचों अष्टम में ) तो मैं यहीं से पहला मतलब स्वयं अष्टम दूसरा यानी कि नवम पांचवा यानी कि द्वादश और 7 यानी कि द्वितीय भाव के गृह लिख लूंगा  मेरे तो ये सभी खाली हैं केतु द्वितीय है सिर्फ
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ज्योतिष (एक नई पहल सत्यता के साथ) भाग ७
ज्योतिष के मूल सिद्धांत :
कर्मा संरेखण तकनीक( KARMA ALLIGNMENT TECHNIQUES
 टॉपिक:KAT में बुध ग्रह का महत्व
  साधारण रूप में हम ज्योतिष को एक निश्चित भाग्य(fixed destiny) के रूप में देखते हैं कि अगर ये युति हुई तो ऐसा होगा पर हम निश्चित भाग्य और भविष्यवाणी पर बात नही करेंगे..आज हम बात करेंगे कि कोई भी ग्रह चाहे किसी भी अवस्था में हो हम उससे लाभ कैसे ले सकते हैं उसका टूल क्या है ये निश्चित भाग्य का बिल्कुल विपरीत है हम ये देखेंगे कि जो ग्रह हमारी कुंडली में जहां बैठा है हम उससे कैसे फायदा लें कैसे implement or allign karen baki wo बुरा प्रभाव न देकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रभाव दे उसे उसी के कारकों के द्वारा एलाइन करके दरअसल ये भृगु नंदी नाडी में एक बदलाव है उसका एक अप्लाइड वर्जन है जो कि बिलकुल शत प्रतिशत कार्य करेगा भले ही एक बार के लिए ज्योतिष के सूत्र लागू हो या ना हों और ये complected भी नही होगा यहां आपको वक्री अस्त निर्बल कुछ नही देखना ..देखना है तो सिर्फ उसका प्लेसमेंट और उसका कारकत्व..अगला लेख लिखने से पहले आप सभी जिज्ञासु सज्जनों से अनुरोध है कि वो तब तक एक चीज नोट करके रख ले आज हम बुध की बात करेंगे
1----- अपनी अपनी कुंडली में ये देखें कि बुध कहां है वो कहीं भी हो उससे मतलब नहीं है बस बुध से 1,2,5,7 वे भाव को देखें और जो ग्रह इनमे हैं उन्हें नोट कर लें अब इन्ही ग्रहों की डिग्री कर्मानुसार लिखें मतलब आपको बुध की एक स्ट्रिंग बनानी है जो बुध की डिग्री के सबसे पास और सबसे दूर हो उसे नोट कर लें ..जिसे समझ नही आया मैं एक उदाहरण से समझा देता हूं 
माना कि कुंडली में बुध(1डिग्री), अष्टम में सूर्य(23 डिग्री),चंद्रमा(18),शुक्र(16) राहु(10),के साथ है(पांचों अष्टम में ) तो मैं यहीं से पहला मतलब स्वयं अष्टम दूसरा यानी कि नवम पांचवा यानी कि द्वादश और 7 यानी कि द्वितीय भाव के गृह लिख लूंगा  मेरे तो ये सभी खाली हैं केतु द्वितीय है सिर्फ