जो बदला जा सके उसे बदलिए, जो बदला न जा सके उसे स्वीकारिए, और जो स्वीकारा न जा सके उससे दूर हो जाइए, लेकिन अपने आपको हर हाल में, हर क़ीमत पर खुश रखिए, यही एकमात्र आपकी स्वयं के प्रति पहली और आख़िरी ज़िम्मेदारी है "व्यर्थ सूरज से झगड़ना चाहता है धूप अँजुरी में पकड़ना चाहता है" ©Santosh Pathak #स्वीकार्यता #बदलाव