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परिवार ,मित्र ,समाज़ की सर्वोच्चता... Full read

परिवार ,मित्र ,समाज़ की सर्वोच्चता...

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in caption...✍️ परिवार ,मित्र ,समाज एक अद्भुत और चमत्कारित शक्ति और ताकत के समान होती है!

कोई भी व्यक्ति इन सभी की अनुपस्थिति में किसी पुष्प रूपी फल के नवजात कोमल उत्पत्ति के समान होता है,
जिसको किसी प्रकार का पोषण न मिलना व पौधे के अन्य हिस्सों से अलग रहकर रहना,

जिसका माधुर्य पुष्प का  भौरों द्वारा नवजात स्थिति में रस हरण कर उसे मरने हेतु छोड़ दिया गया हो!

क्योंकि जब किसी पुष्प का प्राकृतिक पोषण व अपने पौधे का साथ मिलता है तभी वह उत्पाद और फल का रूप धारण कर पाता है!
परिवार ,मित्र ,समाज़ की सर्वोच्चता...

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in caption...✍️ परिवार ,मित्र ,समाज एक अद्भुत और चमत्कारित शक्ति और ताकत के समान होती है!

कोई भी व्यक्ति इन सभी की अनुपस्थिति में किसी पुष्प रूपी फल के नवजात कोमल उत्पत्ति के समान होता है,
जिसको किसी प्रकार का पोषण न मिलना व पौधे के अन्य हिस्सों से अलग रहकर रहना,

जिसका माधुर्य पुष्प का  भौरों द्वारा नवजात स्थिति में रस हरण कर उसे मरने हेतु छोड़ दिया गया हो!

क्योंकि जब किसी पुष्प का प्राकृतिक पोषण व अपने पौधे का साथ मिलता है तभी वह उत्पाद और फल का रूप धारण कर पाता है!

परिवार ,मित्र ,समाज एक अद्भुत और चमत्कारित शक्ति और ताकत के समान होती है! कोई भी व्यक्ति इन सभी की अनुपस्थिति में किसी पुष्प रूपी फल के नवजात कोमल उत्पत्ति के समान होता है, जिसको किसी प्रकार का पोषण न मिलना व पौधे के अन्य हिस्सों से अलग रहकर रहना, जिसका माधुर्य पुष्प का भौरों द्वारा नवजात स्थिति में रस हरण कर उसे मरने हेतु छोड़ दिया गया हो! क्योंकि जब किसी पुष्प का प्राकृतिक पोषण व अपने पौधे का साथ मिलता है तभी वह उत्पाद और फल का रूप धारण कर पाता है!