बचपन पे रूठा जवानी करके गिला, तू मुझे अब जाके क्यों नहीं मिला, साथ को तूने मुझे बरसो सताया है, दुख का गमगीन पल मैंने अकेले बिताया है, तू गलियों का शेर हुआ करता था, मैं खुशियां छोड़ पैसों पे मरता था, तू बहती हवा सा मुट्ठी से फिसलता था, मैं बोझ से दबा मुश्किल से खिसकता था, ये बचपन के बाद एक जवानी ऐसी भी, हा खुशियों की एक कहानी ऐसी भी। हर एक दिल में रहस्य भरे पड़े रहते हैं। सीधे तौर पर उन्हें बताना आसान नहीं मगर कहानी के रूप में उन्हें ज़रूर ढाला जा सकता है। अपने उन्हीं रहस्यों को कहानी के रूप में प्रस्तुत करें। #एककहानीऐसीभी #collab #yqdidi #रहस्यकहानी #YourQuoteAndMine