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जिंदगी बेरंग ,इसमें रंग कहां से लाऊं। जीने का है ज

जिंदगी बेरंग ,इसमें रंग कहां से लाऊं।
जीने का है जो ढंग,वो ढंग कहां से लाऊं।
हैं यार जो पुराने,सब बिछड़े नजर आते हैं।
तन्हाई के मंजर में ,वो साथ कहां से लाऊं।
है सूनी गलियां, सूने रस्ते, शोर सन्नाटो के आते हैं।
कर सबको इकट्ठे फिर, वो मस्तियां कहां से लाऊं।
है आपसी जिंदगी समाई आंखों में,व्यस्त नजर सब आते हैं।
दोस्तों संग रिमझिम बारिशों वाली, वो बरसात कहां से लाऊं।
जिंदगी बेरंग ,इसमें रंग कहां से लाऊं।
जीने का है जो ढंग,वो ढंग कहां से लाऊं।

©Kirti Sharma #Pyardosti
जिंदगी बेरंग ,इसमें रंग कहां से लाऊं।
जीने का है जो ढंग,वो ढंग कहां से लाऊं।
हैं यार जो पुराने,सब बिछड़े नजर आते हैं।
तन्हाई के मंजर में ,वो साथ कहां से लाऊं।
है सूनी गलियां, सूने रस्ते, शोर सन्नाटो के आते हैं।
कर सबको इकट्ठे फिर, वो मस्तियां कहां से लाऊं।
है आपसी जिंदगी समाई आंखों में,व्यस्त नजर सब आते हैं।
दोस्तों संग रिमझिम बारिशों वाली, वो बरसात कहां से लाऊं।
जिंदगी बेरंग ,इसमें रंग कहां से लाऊं।
जीने का है जो ढंग,वो ढंग कहां से लाऊं।

©Kirti Sharma #Pyardosti